रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।
गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनंद की कलोलें करने, वह सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतख़ाने में चले आए थे। रात दूध में नहा रही थी। दूर के पहाड़ों की चोटियाँ चतुरसेन शास्त्री
शहरी और देहाती भावनाओं और संवेदनाओं की विडंबनात्मक रोमैंटिक परिणति की यह कहानी अविस्मरणीय है.
मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।
मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।
एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
इसे अभी कोई बड़ा पैराडाइम शिफ़्ट तो नहीं कह सकते, लेकिन किसी नए कथा-प्रस्थान की आहट ज़रूर सुनी जा सकती है.
चूहे ने एक बार फिर कनान को मेंढक से बचाया और उसे एक जादुई पेड़ के पास ले गया जिसकी शाखाएँ नीले आकाश तक पहुंचती थीं । वापस गुफा में, जब बाघ ने देखा कि कानन गायब है, तो वह बहुत क्रोधित हुआ। आकाश में “का संगी ” नाम की एक देवी ने कनान को आश्रय दिया। दूसरी ओर का संगी को मेंढक की जादुई खाल के बारे में पता चला और उसने उसे जला दिया। जादूगर मेंढक का संगी से लड़ने के लिए आकाश में आया।
जमींदार को उसकी समस्या से निजात दिलाने के लिए एक साधु मदद के लिए आये । उन्होंने उसे लगातार तीन महीने तक एक पवित्र मंत्र का जाप करने के लिए कहा। तीन महीने तक जप करने के बाद जमींदार को एक जिन्न मिला गया। जिन्न ने बताया की उसे लगातार कुछ न कुछ करते रहना पड़ता है। अगर मालिक एक काम के खत्म होने के तुरंत बाद उसे दूसरा काम देने में विफल रहता है तो जिन्न उसे छोड़ देगा। लेकिन दूसरी तरफ अगर जिन्न ने कोई गलती की तो वह हमेशा के लिए जमींदार और उसकी पत्नी के साथ रहेगा। जमींदार बहुत खुश हुआ। जमींदार जो भी काम देता, जिन्न उसे मिनटों में ख़त्म कर लेता। पर एक दिन जमींदार की पत्नी ने जिन्न को ऐसा काम दे दिया जिसमे जिन्न से गलती हो ही गयी।
अमूल अमेरिकी दूध बाज़ार more info पर पकड़ बनाने के लिए कर रहा ये कोशिश
इन्दुमती अपने बूढ़े पिता के साथ विंध्याचल के घने जंगल में रहती थी। जबसे उसके पिता वहाँ पर कुटी बनाकर रहने लगे, तब से वह बराबर उन्हीं के साथ रही; न जंगल के बाहर निकली, न किसी दूसरे का मुँह देख सकी। उसकी अवस्था चार-पाँच वर्ष की थी जबकि उसकी माता का परलोकवास किशोरीलाल गोस्वामी
अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा
अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।